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Wednesday, November 30, 2011

बागबानी से होंगे बाग-बाग

पिछले साल नवंबर माह में हॉर्टीकल्चरल सोसाइटी आफ इंडिया और नैशनल स्किल्ज फाउंडेशन आफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था -भारतीय बागबानी कांग्रेस। उद्घाटन अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कृषि वैज्ञानिक, नीति नियोजक तथा चिंतक प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन ने 'बागबानी, व्यापार और आर्थिक समृद्धि'  विषय पर बोलते हुए कहा कि- बागबानी में कुपोषण और भूख से संबंधित भारतीय समस्याओं को हल करने की पर्याप्त क्षमता है, बस जरूरत है किसानों में बागबानी तकनीकों और फल, सब्जियों आदि की नई किस्मों के विषय में जागरूकता पैदा करने की। इसी कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एस. अय्यप्पन ने भी इस बात की ताइद की- भारत में बागबानी एक विशाल क्षमता वाला क्षेत्र है, जहां खेती मशीनीकरण, गुणवत्तायुक्त बीज और रोपण सामग्री जैसे कुछ आवश्यक निवेश उपलब्ध करवा कर बहुत कुछ किया जा सकता है।
इन दोनों बयानों का महत्त्व कुछ और बढ़ जाता है, खासतौर पर उस समय जबकि पिछले कुछ सालों में कृषि क्षेत्र में विकास दर महज दो से तीन प्रतिशत के बीच रही हो। वर्ष 2002-03 में तो यह शून्य से भी कम थी, हालांकि अगले ही साल इसमें ज़बरदस्त उछाल आया और यह 10 फीसदी हो गई, और 2004-2005 में यह फिर लुढ़क कर महज 0.7 फीसदी रह गई। आर्थिक प्रगति में इस विसंगति को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पवनकुमार बंसल भी स्वीकार करते हैं। वे भी कहते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं कि हम कृषि क्षेत्र में पिछड़े हैं। अगर हमें विकास दर को 10 फीसदी करना है तो कृषि में भी चार फीसदी की दर से विकास जारी रखना होगा।
कृषि के क्षेत्र में हाल चाहे जो भी रहा हो पर लोगों को रोज़गार अवसर मुहैया करवाने, किसानों की स्थिति बेहतर बनाने और निर्यात बढ़ाने में बागबानी क्षेत्र का बड़ा हाथ रहा है। वर्ष 2003-04 में फलों और सब्जियों की पैदावार में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर था। फलों में आम, केला और नींबू का भी सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत प्रति इकाई उत्पादकता के मामले में दुनिया में अग्रणी है। दुनिया का 39 प्रतिशत आम और 23 प्रतिशत केला भारत में ही उत्पादित किया जाता है। अंगूर के मामले में इसका नाम प्रति इकाई सर्वोच्च उत्पादकता के लिए दर्ज है और सुपारी तथा काजू उत्पादन में भी भारत पहले स्थान पर हैं। बागबानी फसलों के कुल उत्पादन में 2003-04 की तुलना में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, इस अवधि के दौरान फल उत्पादन में 1.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। विश्व में सबसे बड़े चाय और कॉफी उत्पादकों में से भारत एक है तथा नारियल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
इन सारी अच्छी-बुरी खबरों के बावजूद हमारी कुल खेती में बागबानी 4 प्रतिशत से भी कम है। इसलिए वैज्ञानिकों को फलों की उन्नत किस्मों के विकास तथा उनके गुणवत्ताशील बीज उत्पादन को प्राथमिकता देनी होगी, क्योंकि चीन और ब्राजील के 14, साढ़े 14 टन प्रति हेक्टेअर के मुकाबले हमारा उत्पादन मात्र 9 टन प्रति हेक्टेअर है। इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए महत्त्वपूर्ण नीतिगत बदलाव करने होंगे क्योंकि इस क्षेत्र में विदेशी मुद्रा अर्जित करने की और रोज़गार सृजन की अपार संभावनाएं हैं और यह क्षेत्र देश में पोषण संकट से निपटने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।