साग-सब्जियों का हमारे दैनिक जीवन में कितना महत्त्व है यह किसी से छुपा नहीं हैं। दरअसल शाक-सब्जी भोजन के ऐसे स्रोत है जो न केवल हमारे भोजन का पोषक मूल्य बढ़ाते हैं बल्कि उसको स्वादिष्ट भी बनाते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो एक वयस्क व्यक्ति को संतुलित भोजन के लिए प्रतिदिन 85 ग्राम फल और 300 ग्राम साग-सब्जियों का सेवन करना चाहिए। हमारे देश में सब्जियों की औसत उपलब्धता मात्र 120 ग्राम से भी कम है, यानी सब्जी उत्पादन के व्यवसाय में अभी बहुत अवसर हैं।
सब्जी का बगीचा कहां लगाएं?
अगर सब्जी सिर्फ अपने परिवार के लिए ही चाहिए हो तो बगीचा के लिए स्थान घर का पिछवाड़ा हो सकता है जिसे आप लोग बाड़ी भी कहते हैं। यह सुविधाजनक स्थान है क्योंकि परिवार के सदस्य खाली समय में साग-सब्जियों पर ध्यान दे सकते हैं तथा रसोईघर व स्नानघर से निकले पानी आसानी से सब्जी की क्यारियों में लगाया जा सकता है। इससे एक तो एकत्रित अनुपयोगी जल का निष्पादन हो सकेगा और दूसरे उससे होने वाले प्रदूषण से भी मुक्ति मिल जाएगी। साथ ही, सीमित क्षेत्र में साग-सब्जी उगाने से घरेलू आवश्यकता की पूर्ति भी हो सकेगी। सबसे अहम् बात यह कि सब्जी उत्पादन में रासायनिक पदार्थों का उपयोग करने की जरूरत भी नहीं होगी। अत: यह एक सुरक्षित पद्धति है तथा उत्पादित साग-सब्जी कीटनाशक दवाईयों से भी मुक्त होंगे। चार या पाँच व्यक्ति वाले औसत परिवार के लिए 1/20 एकड़ जमीन पर की गई सब्जी की खेती पर्याप्त हो सकती है। अगर आपने सब्जी को खेती के साथ-साथ अतिरिक्त कमाई के लिए लगाना चाहते हैं तो घर की बाड़ी इसके लिए छोटी रहेगी।
सब्जी उत्पादन के लिए खेत तैयार करना
सबसे पहले तो खेत से पत्थर, झाडिय़ों एवं बेकार के खरपतवार हटा दें और 30-40 सेंमी की गहराई तक कुदाली या हल की सहायता से जुताई करें। जमीन समतल करने के बाद आवश्यकता के अनुसार 45 सेंमी या 60 सेंमी की दूरी पर मेड़ या क्यारी बनाएँ। खेत में अच्छे ढंग से निर्मित 100 कि. ग्राम कृमि खाद चारों ओर फैला दें।
बुआई और पौध रोपण
सीधे बुआई की जाने वाली सब्जियां जैसे - भिंडी, सोयाबीन एवं लोबिया आदि की बुआई मेड़ या क्यारी बनाकर की जा सकती है। दो पौधे के बीच 30 सेंमी की दूरी रखें। प्याज, पुदीना एवं धनिये आदि को खेत के मेड़ पर उगाया जा सकता है।
प्रतिरोपित फसल, जैसे - टमाटर, बैंगन और मिर्ची आदि को एक महीना पूर्व नर्सरी बेड या मटके में उगाया जा सकता है। बुआई के बाद मिट्टी से ढ़क कर उसके ऊपर 250 ग्राम नीम की फली का पाउडर बनाकर छिड़काव किया जाता है ताकि इसे चीटियों आदि से बचाया जा सके। टमाटर के लिए 30 दिनों की बुआई के बाद तथा बैंगन, मिर्ची और बड़े प्याज के लिए 40-45 दिनों के बाद पौधे को नर्सरी से निकाल देना चाहिए। टमाटर, बैंगन और मिर्ची को 30-45 सेंमी की दूरी पर मेड़ या उससे सटाकर रोपाई की जाती है, जबकि बड़े प्याज के लिए मेड़ के दोनों ओर 10 सेंमी की जगह छोड़ी जाती है। रोपण के तीसरे दिन पौधों की सिंचाई करें। प्रारंभिक अवस्था में इस प्रतिरोपण को दो दिनों में एक दिन बाद पानी दिया जाए तथा बाद में 4 दिनों के बाद पानी दिया जा सकता है।
सब्जी के बगीचे का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ कमाना है तथा वर्ष भर घरेलू साग-सब्जी की आवश्यकता की पूर्ति करना है। कुछ पद्धतियों को अपना कर यह लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
बगीचे के एक छोर पर बारहमासी पौधों को उगाया जाना चाहिए जिससे इनकी छाया अन्य फसलों पर न पड़े तथा अन्य साग-सब्जी फसलों को पोषण दे सकें।
बगीचे के चारों ओर तथा आने-जाने के रास्ते का उपयोग विभिन्न अल्पावधि हरी साग-सब्जियों जैसे- धनिया, पालक, मेथी, पुदीना आदि उगाने के लिए किया जा सकता है।
बारहमासी खेत
सहजन की फली, केला, पपीता, कढ़ी पत्ता : उपरोक्त फसल व्यवस्था से यह पता चलता है कि वर्षभर बिना अंतराल के प्रत्येक खेत में कोई न कोई फसल अवश्य उगाई जा सकती है। साथ ही, कुछ खेत में एक साथ दो फसलें (एक लम्बी अवधि वाली और दूसरी कम अवधि वाली) भी उगाई जा सकती है।
सब्जी बगीचे के निर्माण से आर्थिक लाभ
व्यक्ति पहले अपने परिवार का पोषण करता उसके बाद आवश्यकता से अधिक होने पर उत्पाद को बाजार में बेच देता है या उसके बदले दूसरी सामग्री प्राप्त कर लेता है। कुछ मामले में घरेलू बगीचा आय सृजन का प्राथमिक उद्देश्य बन सकता है। अन्य मामले में, यह आय सृजन उद्देश्य के बजाय पारिवारिक सदस्यों के पोषण लक्ष्य को पूरी करने में मदद करता है। इस तरह, यह आय सृजन और पोषाहार का दोहरा लाभ प्रदान करता है।
अगर सब्जी सिर्फ अपने परिवार के लिए ही चाहिए हो तो बगीचा के लिए स्थान घर का पिछवाड़ा हो सकता है जिसे आप लोग बाड़ी भी कहते हैं। यह सुविधाजनक स्थान है क्योंकि परिवार के सदस्य खाली समय में साग-सब्जियों पर ध्यान दे सकते हैं तथा रसोईघर व स्नानघर से निकले पानी आसानी से सब्जी की क्यारियों में लगाया जा सकता है। इससे एक तो एकत्रित अनुपयोगी जल का निष्पादन हो सकेगा और दूसरे उससे होने वाले प्रदूषण से भी मुक्ति मिल जाएगी। साथ ही, सीमित क्षेत्र में साग-सब्जी उगाने से घरेलू आवश्यकता की पूर्ति भी हो सकेगी। सबसे अहम् बात यह कि सब्जी उत्पादन में रासायनिक पदार्थों का उपयोग करने की जरूरत भी नहीं होगी। अत: यह एक सुरक्षित पद्धति है तथा उत्पादित साग-सब्जी कीटनाशक दवाईयों से भी मुक्त होंगे। चार या पाँच व्यक्ति वाले औसत परिवार के लिए 1/20 एकड़ जमीन पर की गई सब्जी की खेती पर्याप्त हो सकती है। अगर आपने सब्जी को खेती के साथ-साथ अतिरिक्त कमाई के लिए लगाना चाहते हैं तो घर की बाड़ी इसके लिए छोटी रहेगी।
सब्जी उत्पादन के लिए खेत तैयार करना
सबसे पहले तो खेत से पत्थर, झाडिय़ों एवं बेकार के खरपतवार हटा दें और 30-40 सेंमी की गहराई तक कुदाली या हल की सहायता से जुताई करें। जमीन समतल करने के बाद आवश्यकता के अनुसार 45 सेंमी या 60 सेंमी की दूरी पर मेड़ या क्यारी बनाएँ। खेत में अच्छे ढंग से निर्मित 100 कि. ग्राम कृमि खाद चारों ओर फैला दें।
बुआई और पौध रोपण
सीधे बुआई की जाने वाली सब्जियां जैसे - भिंडी, सोयाबीन एवं लोबिया आदि की बुआई मेड़ या क्यारी बनाकर की जा सकती है। दो पौधे के बीच 30 सेंमी की दूरी रखें। प्याज, पुदीना एवं धनिये आदि को खेत के मेड़ पर उगाया जा सकता है।
प्रतिरोपित फसल, जैसे - टमाटर, बैंगन और मिर्ची आदि को एक महीना पूर्व नर्सरी बेड या मटके में उगाया जा सकता है। बुआई के बाद मिट्टी से ढ़क कर उसके ऊपर 250 ग्राम नीम की फली का पाउडर बनाकर छिड़काव किया जाता है ताकि इसे चीटियों आदि से बचाया जा सके। टमाटर के लिए 30 दिनों की बुआई के बाद तथा बैंगन, मिर्ची और बड़े प्याज के लिए 40-45 दिनों के बाद पौधे को नर्सरी से निकाल देना चाहिए। टमाटर, बैंगन और मिर्ची को 30-45 सेंमी की दूरी पर मेड़ या उससे सटाकर रोपाई की जाती है, जबकि बड़े प्याज के लिए मेड़ के दोनों ओर 10 सेंमी की जगह छोड़ी जाती है। रोपण के तीसरे दिन पौधों की सिंचाई करें। प्रारंभिक अवस्था में इस प्रतिरोपण को दो दिनों में एक दिन बाद पानी दिया जाए तथा बाद में 4 दिनों के बाद पानी दिया जा सकता है।
सब्जी के बगीचे का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ कमाना है तथा वर्ष भर घरेलू साग-सब्जी की आवश्यकता की पूर्ति करना है। कुछ पद्धतियों को अपना कर यह लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
बगीचे के एक छोर पर बारहमासी पौधों को उगाया जाना चाहिए जिससे इनकी छाया अन्य फसलों पर न पड़े तथा अन्य साग-सब्जी फसलों को पोषण दे सकें।
बगीचे के चारों ओर तथा आने-जाने के रास्ते का उपयोग विभिन्न अल्पावधि हरी साग-सब्जियों जैसे- धनिया, पालक, मेथी, पुदीना आदि उगाने के लिए किया जा सकता है।
बारहमासी खेत
सहजन की फली, केला, पपीता, कढ़ी पत्ता : उपरोक्त फसल व्यवस्था से यह पता चलता है कि वर्षभर बिना अंतराल के प्रत्येक खेत में कोई न कोई फसल अवश्य उगाई जा सकती है। साथ ही, कुछ खेत में एक साथ दो फसलें (एक लम्बी अवधि वाली और दूसरी कम अवधि वाली) भी उगाई जा सकती है।
सब्जी बगीचे के निर्माण से आर्थिक लाभ
व्यक्ति पहले अपने परिवार का पोषण करता उसके बाद आवश्यकता से अधिक होने पर उत्पाद को बाजार में बेच देता है या उसके बदले दूसरी सामग्री प्राप्त कर लेता है। कुछ मामले में घरेलू बगीचा आय सृजन का प्राथमिक उद्देश्य बन सकता है। अन्य मामले में, यह आय सृजन उद्देश्य के बजाय पारिवारिक सदस्यों के पोषण लक्ष्य को पूरी करने में मदद करता है। इस तरह, यह आय सृजन और पोषाहार का दोहरा लाभ प्रदान करता है।
LINK- http://www.indg.in/agriculture/on-and-off-farm-enterprises/93892c94d91c940-915940-916947924940
ReplyDeleteसब्जी की खेती
साग-सब्जियों का हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है विशेषकर शाकाहारियों के जीवन में। शाक-सब्जी भोजन के ऐसे स्रोत है जो हमारे पोषक मूल्य को ही नहीं बढ़ाते बल्कि उसके स्वाद को भी बढ़ाते हैं। पोषाहार विशेषज्ञों के अनुसार संतुलित भोजन के लिए एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 85 ग्राम फल और 300 ग्राम साग-सब्जियों की सेवन करनी चाहिए। परन्तु हमारे देश में साग-सब्जियों का वर्त्तमान उत्पादन स्तर प्रतिदिन, प्रतिव्यक्ति की खपत के हिसाब से मात्र 120 ग्राम है।
सब्जी बगीचा
उपरोक्त स्थितियों पर विचार करते हुए उपलब्ध स्वच्छ जल के साथ रसोईघर एवं स्नानघर से निकले पानी का उपयोग कर घर के पिछवाड़े में उपयोगी साग-सब्जी उगाने की योजना बना सकते हैं। इससे एक तो एकत्रित अनुपयोगी जल का निष्पादन हो सकेगा और दूसरे उससे होने वाले प्रदूषण से भी मुक्ति मिल जाएगी। साथ ही, सीमित क्षेत्र में साग-सब्जी उगाने से घरेलू आवश्यकता की पूर्ति भी हो सकेगी। सबसे अहम् बात यह कि सब्जी उत्पादन में रासायनिक पदार्थों का उपयोग करने की जरूरत भी नहीं होगी। अतः यह एक सुरक्षित पद्धति है तथा उत्पादित साग-सब्जी कीटनाशक दवाईयों से भी मुक्त होंगे।
सब्जी बगीचा के लिए स्थल चयन
सब्जी बगीचा के लिए स्थल चयन में सीमित विकल्प है। हमेशा अंतिम चयन घर का पिछवाड़ा ही होता है जिसे हम लोग बाड़ी भी कहते हैं। यह सुविधाजनक स्थान होता है क्योंकि परिवार के सदस्य खाली समय में साग-सब्जियों पर ध्यान दे सकते हैं तथा रसोईघर व स्नानघर से निकले पानी आसानी से सब्जी की क्यारी की ओर घुमाया जा सकता है। सब्जी बगीचा का आकार भूमि की उपलब्धता और व्यक्तियों की संख्या पर निर्भर करता है। सब्जी बगीचा के आकार की कोई सीमा नहीं है परन्तु सामान्य रूप से वर्ग की अपेक्षा समकोण बगीचा को पसंद किया जाता है। चार या पाँच व्यक्ति वाले औसत परिवार के लिए 1/20 एकड़ जमीन पर की गई सब्जी की खेती पर्याप्त हो सकती है।
सब्जी का पौधा लगाने के लिए खेत तैयार करना
सर्वप्रथम 30-40 सेंमी की गहराई तक कुदाली या हल की सहायता से जुताई करें। खेत से पत्थर, झाड़ियों एवं बेकार के खर-पतवार को हटा दें। खेत में अच्छे ढंग से निर्मित 100 कि.ग्राम कृमि खाद चारों ओर फैला दें। आवश्यकता के अनुसार 45 सेंमी या 60 सेंमी की दूरी पर मेड़ या क्यारी बनाएँ।
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फसल पद्धति
बारहमासी खेत
सहजन की पल्ली, केला, पपीता, कढ़ी पता
उपरोक्त फसल व्यवस्था से यह पता चलता है कि वर्षभर बिना अंतराल के प्रत्येक खेत में कोई न कोई फसल अवश्य उगाई जा सकती है। साथ ही, कुछ खेत में एक साथ दो फसलें (एक लम्बी अवधि वाली और दूसरी कम अवधि वाली) भी उगाई जा सकती है।
सब्जी बगीचा निर्माण के आर्थिक लाभ
व्यक्ति पहले अपने परिवार का पोषण करता उसके बाद बेचता है। आवश्यकता से अधिक होने पर उत्पाद को बाजार में बेच देता है या उसके बदले दूसरी सामग्री प्राप्त कर लेता है। कुछ मामले में घरेलू बगीचा आय सृजन का प्राथमिक उद्देश्य बन सकता है। अन्य मामले में, यह आय सृजन उद्देश्य के बजाय पारिवारिक सदस्यों के पोषण लक्ष्य को पूरी करने में मदद करता है। इस तरह, यह आय सृजन और पोषाहार का दोहरा लाभ प्रदान करता है।
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