बाग मालिक किसान अकसर अपनी फल वाली फसलों को एकमुश्त बेचते हैं, इसे आम बोलचाल की भाषा में बाग ठेके पर देना कहते हैं। जो किसान अपने बाग ठेके पर देते हैं उनके लिए सबसे पहली सलाह तो यह है कि जो आदमी आपका बाग ठेके पर लेना चाहता है, उसके के बारे में पूरी जानकारी जरूर इक_ा करें। जैसे कि
(1) वह कहां का रहने वाला है?
(2) उसकी आर्थिक स्थिति कैसी है?
(3) उसका पूर्व अनुभव क्या है?
(4) पिछले बाग मालिक के साथ व्यवहार कैसा था?
(5) लेन-देन में उसका व्यवहार आदि।
बाग ठेके पर लेने वाले ठेकेदार और बाग मालिक किसान के बीच तय होने वाली सभी शर्तों एवं दशाओं को पहले मौखिक रूप से तैयार करें चूंकि मौखिक अनुबंध में हमेशा विवाद होने की संभावना बनी रहती है। अनावश्क विवादों से बचने के लिए सभी शर्तों पर सहमति होने के बाद उसे दो प्रतियों में लिख कर दोनों पक्ष उस पर अपनी सहमति के हस्ताक्षर जरूर करें, ताकि छोटी-मोटी बात पर भविष्य में विवाद न हो, अथवा विवाद की हालत में समझौते की शर्तों के अनुसार पंचाट करने में आसानी हो। यह लिखा-पढ़ी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ज्यादातर फलों की फसलें वर्ष में एक ही बार आती हैं और विवाद की सूरत में किसान को बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है।
संभावित लिखित समझौते में निम्न बातों का आवश्यक रूप से उल्लेख करें-
* इसमें बाग मालिक का पूर्ण विवरण, बाग का क्षेत्रफल एवं पौधों की संख्या आदि।
* तय रकम का भुगतान एक मुश्त होगा अथवा किस्तों में होगा, यदि किस्तों में होगा तो कितने अंतराल में होगा।
* यदि भुगतान के संबंध में यदि किसी तीसरे पक्ष की जिम्मेवारी है तो उसकी हस्ताक्षयुक्त सहमती।
* सारा भुगतान फलों को तोडऩे से पूर्व ही मिल जाने की सुनिश्चितता, अन्यथा नुकसान होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
* फलों के तुड़ाई पैकिंग एवं परिवहन का खर्चा किसका होगा।
* फलों की तुड़ाई किस अवधि में किस प्रकार की जाएगी व बा$ग की सुरक्षा की जिम्मेवारी किसकी होगी आदि। (आम चलन में बाग की सुरक्षा की जिम्मेदारी ठेकेदारी की होती है।)
* आगामी वर्ष की फसल को सुनिश्चित करने के लिए समस्त फलों की तुड़ाई की आखिरी तारीख।
* बाग में कृषि संबंधी अन्य कार्य किसके द्वारा किए जाएंगे। (चलन यह है कि यह कार्य बाग मालिक करता है।)
* फलों की कितनी मात्रा बाग मालिक व्यक्तिगत उपभोग के लिए मिलेगी आदी।
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