Thursday, September 6, 2012

अब बढ़ेगी उपज परमाणु खेती से

परमाणु ऊर्जा का नाम आते ही हमारे दिमाग में परमाणु बम और परमाणु युद्ध के अलावा जो दूसरा नाम आता है वह है, बिजली उत्पादन। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने रेडियो ऐक्टिव तरंगो का प्रयोग कर पैदावार बढ़ाने वाले बीज और ऐसी तकनीकें विकसित की हैं, जो अधिक उत्पादन के साथ-साथ फसलों को बीमारियों व कीटों से भी बचाएंगी। फसलों के उत्परिवर्तन (म्यूटेशन और रीकॉम्बिनेशन ब्रीडिंग) के जरिए अनाज, दलहन और तिलहन आदि की बेहतरीन पैदावार की जा रही है। इस तकनीकी से पैदा किए गए बीज उच्च-उत्पादकता व गुणवत्ता वाले होने के साथ-साथ कीट व रोग प्रतिरोधी भी हैं।

भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर में बायोमेडिकल ग्रूप के सहायक निदेशक और न्यूक्लियर ऐग्रिकल्चर ऐंड बॉयोटेक्नॉलजी संभाग के मुखिया डॉ. स्टॅनिसलास एफ. डिसूज़ा बताते हैं कि मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन, सरसों, मूंग, अरहर, उड़द, चावल, जूट आदि फसलों की सभी किस्मों के बीज वायरस रोगों के लिए प्रतिरोधी, फफूंद नाशक, उच्च पैदावार व गुणवत्ता वाले हैं। ये सभी किस्में देश भर में भी बेहतर फसलें देने में सक्षम हैं। वैज्ञानिकों ने बीजों की इन किस्मों को टीएलजी 45, टीएजी 24, टीएएमएस 98-21, टीएएस 82, टीएटी 10 आदि नाम दिए हैं।
 
खेत को अधिक उपजाऊ बनाएगा रेडियो ट्रेसर 
वैज्ञानिकों के अनुसार मृदा-पादप तंत्र में पोषक तत्वों के स्थानांतरण के लिए रेडियो ट्रेसर का उपयोग किया गया है। मृदा विज्ञान के क्षेत्र में 32 पी, 35 एस, 59 एफई, 65 जेडयू, 54 एमयू आदि रेडियो ऐक्टिव तरंगे इस्तेमाल होती हैं। विकिरण एवं आइसॉटोप प्रौद्योगिकी बोर्ड, मुबई (बीआरआइटी-बोर्ड ऑफ रेडिएशन ऐण्ड आइसोटॉप टैक्रालॅजी) 14 सी, 35 एस, 3एच और 32 पी लेबल्ड कृषि रसायनों एवं उर्वरकों का निर्माण कर रहा है, जो मृदा और उर्वरक के क्षेत्र के लिए काफी फायदेमंद हैं।
 
विकीरण तकनीक से कीट नियंत्रण 
विकीरण का उपयोग करके बंध्य कीट तकनीक (एसआइटी) का प्रयोग कीटों पर नियंत्रण के लिए किया जाता है। इस तकनीक में कीड़ों को प्रयोगशाला में पाला जाता है, फिर उन्हें (विशेष तौर पर नर कीटों को) विकीरण की मदद से बंध्य (स्टेराइल) बनाते हैं, ताकि वे प्रजनन में असमर्थ हो जाएं। इसके बाद उन्हें वातावरण में छोड़ देते हैं इससे इनकी संख्या नहीं बढ़ती तथा कीटनाशक का प्रयोग किए बगैर कीटों पर नियंत्रण हो जाता है और वे फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। बीएआरसी के वैज्ञानिकों ने इस तकनीक के जरिए रेड पाम वीविल, पॅटैटो टॉटेर मोथ, स्पॉटेड बॉलवॉर्म ऑफ कॉटन (विभिन्न कीटों की प्रजातियां) पर काबू पाया है।
 
सुरक्षित भंडारण के लिए प्रौद्योगिकी 
खाद्य विकिरणीकरण प्रोद्योगिकी द्वारा खाद्य नुकसान को भी रोका जा सकता है। इसके तहत गामा किरणों, एक्स-किरणों और तीव्रगामी इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा का नियंत्रित प्रयोग कर खाद्य एवं कृषि उत्पादों का संरक्षण करते हैं। निश्चित विकिरण द्वारा आलू और प्याज के भंडारण के दौरान होने वाले अंकुरण को रोका जा सकता है। इसके अलावा विकीरण द्वारा दालों व अनाजों में लगने वाले कीड़े व बीमारियों पर भी नियंत्रण संभव है। इस तकनीकी द्वारा कटाई के बाद फसलों के नुकसान को रोका जा सकता है, साथ ही कृषि उत्पादों का लंबे समय तक भंडारण भी किया जा सकता है। इनसे खाद्य जनित बीमारी फैलाने वाले सूक्ष्म जीवों पर भी नियंत्रण संभव है।

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