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Tuesday, July 12, 2011

कहाँ करें बीमा कम्पनी की शिकायत ?

बीमा कंपनियों के टाल-मटोल वाले रवैये से परेशान और क्लेम के लिए कई महीने गुजरने के बाद भी भुगतान न मिलने पर क्या किया जा सकता है? या फिर किस्त का चेक या भुगतान बीमा कंपनी ने ले लिया पर पॉलिसी जारी न की हो तो क्या करें? ग्राहक सेवा प्रतिनिधि को बार-बार फोन करने और बीमा कंपनी के दफ्तर के चक्कर लगाने के बाद भी समस्या का समाधान न हो तब क्या चारा है? सबसे पहले बीमा कंपनी की संबंधित शाखा में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। ज्यादातर कंपनियां अपने पॉलिसीधारकों को ग्राहक सेवा विभाग में फोन या ई-मेल के जरिए शिकायत करने की सुविधा देती हैं। अगर ग्राहक सेवा विभाग कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिले या समस्या का समाधान न हो तो कंपनी के शिकायत निवारण अधिकारी से संपर्क करना चाहिए। बीमा कंपनी को तीन दिनों के भीतर लिखित में पॉलिसीधारक को उसकी शिकायत दर्ज होने की सूचना देनी होती है। शिकायत के दो हफ्ते के भीतर कंपनी को उसे निपटाना होगा। कंपनी अगर शिकायत को खारिज करती है, तो इसकी वजह के साथ-साथ उसे यह भी बताना होगा कि असंतुष्ट होने की स्थिति में पॉलसीधारक के पास क्या-क्या विकल्प हैं। शिकायत खारिज होने के आठ हफ्ते के भीतर आप अगला कदम नहीं उठाते, तो कंपनी मान लेती है कि मामला बंद हो चुका है। अगर इसके बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं होता तो एक ही समाधान है बीमा लोकपाल को लिखित शिकायत करना, जहां से 90 दिनों में ही सभी समस्याओं का समाधान मिल सकता है।  
क्या है लोकपाल?
लोकपाल वह अधिकारी है जो पालिसी धारकों की समस्या के निस्तारण के लिए सरकार द्वारा सामान्यतया बीमा उद्योग, सिविल सेवा या न्यायिक सेवा अधिकारियों में से मनोनीत किए जाते हैं। बीमाधारकों के हितों की रक्षा के लिए 11 नवंबर, 1998 को भारत सरकार द्वारा जारी सूचनापत्र के बाद बीमा लोकपाल संस्थान अस्तित्व में आया। ग्राहकों और बीमा कंपनियों के बीच भरोसा बनाए रखने में इसकी अहम भूमिका है। इसका मुख्य उद्देश्य, बीमाधारकों की शिकायतों का जल्द से जल्द निपटारा करना है, साथ ही उन समस्याओं का भी समाधान करना भी है जो बीमाधारकों की शिकायतों के निपटारे में बाधक हैं। लोकपाल की नियुक्ति के लिए कमेटी के सुझाव के आधार पर प्रशासनिक निकाय आदेश देता है। इस कमेटी में, आइआरडीए (इंश्युरैंस रेग्युलेटरी एंड डिवेल्पमेंट ऑर्थोटी) के अध्यक्ष, एलआइसी (लाइफ इंश्युरैंस कारपोरेशन)और जीआइसी (जनरल इंश्युरैंस कारपोरेशन) के अध्यक्ष तथा केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
लोकपाल के  कार्य
बीमा लोकपाल को दो काम करने होते हैं, पहला ग्राहक की शिकायत का निपटारा और दूसरा बीमा कम्पनी तथा ग्राहक के बीच पंचायत करना। बीमा लोकपाल किसी भी बीमा कंपनी के विरुद्घ शिकायतों को लेने और उन पर विचार करने को अधिकृत है। इसके लिए जरूरी है कि ग्राहक ने पहले अपनी शिकायत संबंधित बीमा कंपनी से की हो और उक्त बीमा कंपनी ने 30 दिनों के भीतर या तो उसका निपटारा न किया हो या निपटारा संतोषजनक न रहा हो। दूसरी बात यह है कि यही शिकायत किसी अदालत, उपभोक्ता अदालत के यहां लम्बित नहीं हो।
क्या हो सकती हैं शिकायतें?
दावे के निपटारे में बीमा कंपनियों द्वारा ढ़ील बरतने या बीमे के लिए दी गई या दी जाने वाली किस्त राशि संबंधी विवाद हो या दावों के निपटारे में विलंब और किस्त लिए जाने के बावजूद किसी तरह का बीमा-दस्तावेज न दिए जाना आदि। लोकपाल, 20 लाख रुपये तक के बीमा संबंधी विवादों के निपटारे के लिए अधिकृत है, तथा इसे तीन महीने में अपना फैसला देना होता है और बीमा कंपनियां उसे मानने के लिए बाध्य भी होती हैं।
कैसे करें शिकायत?
भारत भर में लोकपाल के बारह कार्यालय हैं। जो अपने-अपने क्षेत्राधिकार के आधार पर कार्य करते हैं। शिकायतकर्ता को इनके यहां अपनी शिकायत लिखित रूप में करनी चाहिए। शिकायत, बीमाधारक के कानूनी-वारिसों द्वारा भी दर्ज कराई जा सकती है। लोकपाल के यहां शिकायत दर्ज करवाने में कुछ विशेष सावधानियां रखनी होती हैं जैसे-शिकायतकर्ता द्वारा बीमा कंपनी के समक्ष अपने शिकायत रखे जाने के बाद बीमा कंपनी द्वारा उसका वाद खारिज कर दिया हो या शिकायत मिलने की तारीख से एक महीने तक कोई जवाब नहीं दिया हो या दिए गए जवाबों से शिकायतकर्ता संतुष्टï न हो। लेकिन ध्यान रहे, बीमा कंपनी के जवाब देने के बाद एक साल गुजर जाने पर शिकायत नहीं की जा सकती, उस हालत में शिकायत को अवधिपार मान लिया जाता है। या वह शिकायत किसी न्यायालय या उपभोक्ता मंच में लम्बित नहीं होनी चाहिए।
लोकपाल का फैसला
लोकपाल मामले की गंभीरता और परिस्थितियों को देखते हुए, उचित ही फैसला करता है। निर्णय मामला दर्ज होने के एक महीने के अंदर ही संबंधित शिकायतकर्ता और बीमा कंपनी को भेज दिया जाता है। अगर शिकायतकर्ता, लोकपाल निर्णय और सुझावों से संतुष्टï हो तो उसे सुझाव प्राप्त होने की तारीख से 15 दिनों के अंदर लिखित रूप में लोकपाल को अपनी स्वीकृति देनी होती है। अगर लोकपाल के फैसले से शिकायतकर्ता सहमत नहीं हो तो विवाद उपभोक्ता मंच या अदालत में प्रस्तुत किया जा सकता है।
इसके अलावा बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के मुफ्त फोन नंबर-155255 पर संपर्क कर सकते हैं या लिखित शिकायत भी दर्ज करवाई जा सकती है। जीवन बीमा, साधारण बीमा में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों के लिए अलग-अलग अधिकारी एवं कार्यक्षेत्र हैं।

साधारण बीमा क्षेत्र की निजी क्षेत्र की कम्पनियों के लिए- 
श्री के. श्रीनिवास, 
सहायक निदेशक
बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण, उपभोक्ता मामलों का विभाग, 
युनाइटिड इंडिया टॉवर, 9वीं मंजिल, 3-5-817, 818 बशीर बाग , हैदराबाद-500 029
e-mail : complaints@irda.gov.in

साधारण बीमा क्षेत्र की सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों के लिए-
श्री आर. श्रीनिवास, 
विशेष कार्य अधिकारी
बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण, उपभोक्ता मामलों का विभाग, 
युनाइटिड इंडिया टॉवर, 9वां मंजिल, 3-5-817, 818 बशीर बाग , हैदराबाद-500 029
e-mail : complaints@irda.gov.in
 
जीवन बीमा में दोनों क्षेत्रों के लिए- 
श्री टी. व्येकेटश्वराय राव, 
सहायक निदेशक
बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण, उपभोक्ता मामलों का विभाग, 
युनाइटिड इंडिया टॉवर, 9वां मंजिल, 3-5-817, 818 बशीर बाग, हैदराबाद-500 029
e-mail : complaints@irda.gov.in

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