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Wednesday, October 19, 2011

क्या है ई-चौपाल?

चौपाल की अवधारणा भारतीय किसानों के लिए नई नहीं है। आइटीसी द्वारा उठाया गया शुरुआती कदम आज हजारों गांवों में अपनी छाप छोड़ रहा है। आज बहुत सारे सरकारी विभाग और नैस्कॉम 'प्रत्येक गांव में एक कंप्यूटर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जोरशोर से लगे हुए हैं। वर्तमान में 11 राज्यों और 42 हजार गांवों में तकरीबन 7000 ई-चौपालों का फायदा लगभग 40 लाख किसान उठा रहे हैं वे उसकी मदद से सोयाबीन, मसाले, कॉफी, गेहूं, चावल, मक्का, दालें और अन्य अनाज उपजा रहे हैं। देश में सबसे पहले आइटीसी ने 1500 ई-चौपाल नेटवर्क बनाया, जिसमें बैटरी से चलने वाला कंप्यूटर, एक संचालक और सैटेलाइट संचार की व्यवस्था की गई थी। इसी तर्ज पर रिलायंस इंडस्ट्री भी अपना सामाजिक आधारभूत ढ़ांचा बना रही है ताकि वो किसानों तक अपनी पहुंच बना सकें। आंध्रप्रदेश, पंजाब और हरियाणा से दूध की खरीद के लिए इस मॉडल को शुरू किया गया है, जल्द ही इसमें और भी वस्तुएं शामिल की जाएंगी। डीसीएम श्रीराम कंसल्टेंसी लिमिटेड (डीएससीएल) ने अपने तरीके का ई-चौपाल मॉडल बनाया है जिसे नाम दिया गया है हरियाली किसान बाजार (एचकेबी)। इस मॉडल का लक्ष्य गांव के लोगों, खासतौर पर किसानों के लिए बाजार बनाना है। सन 2002 में शुरू हुए इस हरियाली मॉडल के 160 बूथ है और एक बूथ के जरिए 20,000 किसानों के परिवार तक पहुंच बनाई गई है। आइटीसी के एक अधिकारी के अनुसार 'किसान की सारी जरूरतें कोई एक आदमी पूरी नहीं कर सकता, इसलिए ई-चौपाल की जरूरत महसूस हुई, पर अभी यह शुरूआत है अभी बहुत काम होना बाकी है। दरअसल आम किसान के लिए ई-चौपाल एक ऐसा जादू का पिटारा है, जिससे फसलों की सही कीमत और जरूरत के सामान के साथ कई और महत्त्वपूर्ण खबरें और नसीहतें उपलब्ध होती हैं, जैसे- 
फसलों का डाटाबेस
आपको अगली बार कौन सी फसल उगानी है यह निरधारण करने में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया डाटाबेस आपकी मदद करेगा। यह आपको सलाह देगा कि कौन सी फसल उगाना फायदेमंद और घरेलू परिस्थितियों के अनुरूप सही है। एचकेबी ने अपने यहां 2-3 कृषि वैज्ञानिकों को रखा है जो सभी केन्द्रों पर किसानों को 24 घंटे अपनी सेवा देते हैं।
बिचैलियों से  मुक्ति
वस्तु (कमोडिटी) बाजार से कंप्यूटर के माध्यम से सीधे जुडऩे पर आपको बिचौलियों के बगैर उपज की बेहतर कीमत मिलेगी। इस समय देश में करीब 25 वस्तु विनमय केन्द्र (कमोडिटी एक्सचेंज) है जिनमें चार राष्ट्रीय स्तर के हैं जैसे- नैशनल मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएमसीई), नैशनल बोर्ड ऑफ ट्रेड (एनबीटी), नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीइएक्स) और मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स)।
अन्य सुविधाएं
इन केन्द्रों से पेट्रोल पंप, एलपीजी गैस कनेक्शन और बैंक भी जुड़े हुए हैं। भारत पेट्रोलियम के साथ एचकेबी ने अपने केन्द्र के नजदीक एक पेट्रोल पंप खोलने के लिए गठजोड़ भी किया है और अब तक 16 पेट्रोल पंपों ने काम करना शुरू भी कर दिया है तथा साल के अंत तक 60 और पेट्रोल पंप के शुरू होने की उम्मीद है। आइसीआइसीआई और एचडीएफसी बैंक ने भी अपने काउंटर यहां खोले हैं। इनमें से कुछ केन्द्रों पर शॉपिंग मॉल और सुपर बाजार भी है जहां घरेलू उपभोक्ता वस्तुएं जैसे टीवी, फ्रिज आदि भी खरीदे जा सकते हैं।
ज्ञात रहे कि 'विलेज कंप्यूटर को चलाने के लिए ज्यादा पढ़ा होना या वैज्ञानिक होना जरूरी नहीं है। मात्र 15 से 20 दिन का प्रशिक्षण लेने के बाद आप पंचायत के कंप्यूटर रूम को संभाल सकने में सक्षम हो सकते हैं। यही नहीं, इन कोर्सेज में प्रशिक्षण के लिए आप दसवीं कक्षा की परीक्षा पास करने के बाद आवेदन भी कर सकते हैं। भारत में तकरीबन छ: लाख गांवों में इस रोजगार की विपुल संभावनाएं हैं।

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