Saturday, January 8, 2011

भू-मीत क्यों?

भू-मीत। यह स्पष्ट करने के लिए आपका यह जानना जरूरी है कि एक किसान को खेत-खलिहान के बारे में सिखाना मछली को तैरना सिखाने जैसा है। भू-मीत का मक़सद इस तैराक मछली को यह बताना है कि उसकी घात में कहां बड़ी मछली है? और कहां मछुआरे ने जाल बिछा रखा है? कहां इस मछली के लिए चारा है? और कहां यह खुद चारा बन सकती है?

क्या किसान ज़िन्दगी में सिर्फ खेत ही हैं? किसान भाई इस माह क्या करें? कपास को कीड़ों से कैसे बचाएं? टिण्डे की नई प्रजाति कौनसी है? कृषियत्रों की देखभाल कैसे करें? क्या बस यही है किसान जीवन? इसका मतलब यह नहीं कि किसानों को यह सब नहीं चाहिए, बल्कि यह है कि इन सब के अतिरिक्त भी बहुत कुछ है जिसे किसानों को जानना है। हम यह मान बैठे हैं कि किसान सिवाय खेत के और कहीं नहीं जाता। अगर किसान कहीं नहीं जाता तो फिर कोर्ट-कचहरियों में वकीलों और अरायज़नव़ीसों के बैंचों बैठे यह कौन लोग हैं? सरकारी अधिकारियों, तहसील और थानों में भेड़-बकरियों की तरह घूम रहे यह कौन लोग हैं? अनाड़ी डॉक्टरों के हाथों से किसी तरह बच निकलने के बाद बड़े शहर के सरकारी/गैर सरकारी हस्पतालों के फ़र्श पर पड़े यह कौन लोग हैं? धान-मण्डियों में तपते टीन के छप्परों के नीचे यह किन लोगों की भीड़ हैं? और याद करें कितनी और ऐसी जगह है जिनका यहां ज़िक्र नहीं है, पर किसान और उसका परिवार उन जगहों पर मौज़ूद होता है।

यहां बात है ग्रामीण जीवन की बाकी समस्याओं और नई जानकारियों के बारे में। जैसे कृषि आधारित ऐसे कौनसे उद्योग हैं जो आप अपने स्तर पर लगा सकते हैं? बीमे में ग्रामीण क्षेत्र के लिए क्या है? बैंक कैसे काम करते हैं? पैसे के लेनदेन और बैंक व्यवहार में क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए? कानून और संविधान में आपके क्या हक़ हैं? सरकार की नई योजनाओं में क्या है? केन्द्र और राज्य सरकार के कौनसे मंत्रालय एवं विभाग हैं जो मात्र आपके लिए बने हैं? इसके अलावा और भी छोटी-छोटी बातें हैं जिन्हें जानना है- जैसे पारिवारिक सम्पति का बटवारा है, वसीयत है, खेत-पड़ौसी से झगड़ा है, परिवार को मौसमी बीमारियों और अनाड़ी झोलाछाप डॉक्टरों से बचाना है, बच्चों की शिक्षा है, भविष्य के लिए सुरक्षित निवेश है। लेकिन इसका यह अर्थ न लिया जाये कि भू-मीत में खेत-खलिहान और फसल के बारे में कुछ नहीं होगा। आख़िर तो किसान की पहचान खेत ही है।

भू-मीत आपके सहयोग से एक ऐसा मंच तैयार करना चाहता हैं जहां से आपकी आवाज़ उन कानों तक पहुंच जाए, जहां तक उसे पहुंचना है। इसके लिए सड़कों पर जाम नहीं लगाना, रेल नहीं रोकनी, बसें नहीं जलानी और किसी का घेराव भी नहीं करना। कहने का सार यह है कि जब आप अपनी समस्या समझ लेंगे तो ख़ुद ही सुलझा भी लेंगे। आपको किसी नेता या झण्डे-डण्डे की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए आपको चाहिए सही समय पर सही सलाह। भू-मीत का यह वादा है कि वह आपका भरोसेमंद दोस्त साबित होगा जो हर वक्त आपके साथ रहेगा और आपको एहसास दिलाता रहेगा कि किसान भेड नहीं है जिसे हर कोई मूंड ले। हो सकता है ये बातें आपको किसी नेता के चुनावी वादों सी लगें पर स्थितियों में बदलाव सम्भव है। निःसन्देह आपकी जागरूकता और सक्रिय भागीदारी की इसमें भूमिका तो रहेगी ही।

7 comments:

  1. -भाई ब्रहस्पति जी, आप की इस नई सोच के लिए मेरी बधाई स्वीकारे.
    -"भू-मीत" मासिक पत्र ब्लाग पर रहेगा या अखबार होगा, यह मै समझ नही पाया.
    -यदि यह ब्लाग पर है तो उन लाखो किसानो को इस का फायदा नही मिलेगा जहा 24मे से 4 घंटे भी बिजली नही मिलती. और न ही ये लाखो भू-मीत नेट फ्रेंड्ली ही है.
    -इस ब्लाग पर जितने भू-मीत आएंगे उन्हे देश के अन्य राज्यो मे किस मौसम मे कौन सी फसल ली जा रही है उसका विवरण नियमित दिया जाना चाहिये.
    -इस के साथ ही किसानो की खेती-मिट्टी-खाद आदि समस्याओ का फोन पर ही निदान करने वाले एनजीओ एव सरकारी एजेंसियो के फोन नम्बर, मौसम की जानकारी, अन्य राज्यो मे किसानो के निशुल्क आवास की व्यवस्था वाले पते-फोन नम्बर आदि दिये जाने चाहिये. --यह सुझाव मै लिख जरूर रहा हू पर मुझे पता है आप का पत्रकारिता का जो दीर्घ अनुभव है उस् के तहत आप ये सारी चीजो की प्लानिग पहले ही कर चुके होंगे.
    -फिर भी नए साल मे इस सकारात्मक सोच के लिए आप और आप की टीम को मेरी बधाई. शिमला/हिमाचल घूमने का न्यौता भी.
    -वक्त निकाल पाए तो मेरे ब्लाग "पचमेल" पर भी नजरेइनायत करे,गंगानगर से शुरु किया सिलसिला यहा भी जारी है.

    ReplyDelete
  2. इस प्रकार के कृषि आधारित बलोग की जरूरत काफी समय से हिन्दी बलोग जगत में महशूस की जा रही थी |मन प्रसन्न हुआ की इस क्षेत्र में कोइ तो है जो देश दुनिया के बारे में सच्ची राय रखता है |शब्द पुष्टिकरण हटा दीजीये ताकी टिप्पणी देने में आसानी रहे |आभार |

    ReplyDelete
  3. Mr. Krishna ji , a nice try to serve Kissan community in a new way of content in a magazine.Jagroop Singh

    ReplyDelete
  4. मैं दूध की डेरी (पशु पालन) खोलना चाहता हूं. कोई सलाह ?

    ReplyDelete
  5. Rural Hindi Monthly Magazine for Rural India December issue our department structure......

    ReplyDelete
  6. Top rural magazine of India. A great piece of work.

    ReplyDelete
  7. achchhi ray hai,bahut hi achchhi ray hai .

    ReplyDelete