Saturday, January 8, 2011

जब खेत नहीं रहेंगे

कृषि के ऋषि के नाम से विख्यात और जीरो बजट खेती के प्रणेता सुभाष पालेकर कृषि योग्य ज़मीन को लेकर जो आंकड़े दे रहे हैं वे भविष्य की बहुत ही भयानक तस्वीर दिखा रहे हैं। उनका कहना है कि केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर विगत 10 वर्षों में 21 लाख हेक्टेयर खेती लायक ज़मीन दूसरे कामों के लिए अधिग्रहीत कर चुकी है। जमीन अधिग्रहण पर सरकार की नीति वास्तव में ऐसी है कि अगले 10 वर्षों में लोगों के सामने भूखों मरने की नौबत आ सकती है। हमारे देश की लगभग 70 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है। पालेकर मानते हैं कि बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के चलते गैर कृषि कार्यों के लिए जमीन की जरूरत बढ़ी है, और सरकार इस जरूरत को पूरी करने के लिए खेती लायक ज़मीनों का अधिग्रहण कर रही है। वास्तव में आबादी उतना नहीं बढ़ी है जितना कृषि योग्य ज़मीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। पालेकर की बात को इससे भी बल मिलता है कि अकेले गंगानगर क्षेत्र में पिछले पांच सालों में करीब 125 मुरब्बे जमीन से खेती उजाड़ कर कॉलोनियां बसा दी गई हैं। इन कॉलोनियों में महज दो-अढ़ाई हजार लोग ही बसे हैं, जबकि शहर अब तक 20 से 30 प्रतिशत तक खाली पड़ा है, और लगभग 80 प्रतिशत मकान एक मंज़िला हैं। इस 125 मुरब्बे जमीन से पैदा होने वाले अनाज से लाखें लोगों का पेट भरा जा सकता था।
सवा अरब से भी ज्यादा लोगों का पेट भरने के लिए पहले से ज्यादा खेती योग्य जमीन चाहिए, और हमारे देश में 41 हजार करोड़ एकड़ जमीन ही खेती योग्य रह गई है। इस जमीन से जितनी फसल हम आज ले रहे हैं वो हमारी आबादी के लिए नाकाफी है, और इससे ज्यादा फसल हम इतनी जमीन पर ले नहीं सकते। हमें आज भी अनाज और तिलहन आयात करना पड़ता है। बढ़ती आबादी के लिए ज्यादा अन्न चाहिए और स्थिति यह है कि खेती लायक जमीन औद्योगिक परियोजनाओं की भेंट चढ़ रही हैं। 2006 से अब तक सरकार 568 विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) को मंजूरी दी चुकि है और यह सच्चाई अपनी जगह है कि उनमें से आधे से भी कम सेज मूर्त रूप ले सके हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 41,700 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है, जिसमें 576 सेज़ परियोजनाओं को भविष्य में विकसित किया जाना है। एक एसईजेड प्रोजेक्ट के लिए करीब दस हजार हेक्टेयर जमीन की जरूरत होती है। अनुमान लगाएं तो इसके लिए ही 30 से 33 लाख हेक्टेयर जमीन की जरूरत पड़ेगी। बढ़ते उद्योगीकरण का प्रभाव सीधा हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है। पर्यावरण का विनाश रोकने के लिए देश में 33 प्रतिशत जंगल भी होना चाहिए जो घट कर मात्र 10 प्रतिशत ही रह गया है, और वो भी तेजी से बर्बाद किया जा रहा है। अब नए जंगल के लिए भी भूमि चाहिए, उसके लिए कृषि भूमि का बलिदान नहीं दिया जा सकता। कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार 1990 से 2003 के बीच कुल बुआई का  क्षेत्रफल 1.5 फीसदी (21 लाख हेक्टेयर) घट गया। वहीं, गैर कृषि कार्यों के लिए जमीन के इस्तेमाल में 34 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई।
जिस रफ्तार से हमारी आबादी बढ़ रही है उसके हिसाब से अगले 20-25 वर्षों में ये बढ़कर अढ़ाई अरब हो जाएगी। अब इस आबादी को खिलाने के लिए अनाज भी चाहिए और रहने के लिए जमीन भी। उस समय क्या होगा सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस कृषि प्रधान देश के नीति-निर्धारक कह सकते हैं कि अनाज तो आयात भी किया जा सकता है। पर कहां से? सारी दुनियां तो खाद्यान्न छोड़कर बायो-डीजल बनाने में जुटी हुई है। आस्ट्रेलिया और अमेरिका में गेहूं और ज्वार सूअरों और अन्य मांस देने वाले पशुओं के लिए ही बोया जाता है, उस स्तर का अनाज तो हमारे पशु भी नहीं खाते। इस अनाज को हम किस भाव और किन शर्तों पर खरीदेंगे ये तो समय ही बताएगा। इस पर सुभाष पालेकर और ज्यादा डराते हैं उनके पास सात खतरनाक सवाल भी हैं: एक- कैसे कृषि योग्य भूमि को अतिक्रमण से बचाया जाए? दो-कैसे उपलब्ध भूमि से ही ज्यादा अनाज पैदा किया जाए? तीन-कैसे अकृषि भूमि पर पुनः जंगल खड़े किए जांए? चार-कैसे जहर मुक्त अनाज और सब्जियां पैदा की जाएं? पांच-कैसे अनाज, फल, सब्जियों और तेल में आत्मनिर्भर हुआ जाए? छः-कहां से खेती और पीने के लिए पानी की व्यवस्था की जाए? सात-कैसे गावों वालों का शहर की ओर पालायन रोका जाए? हमारे वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी तो बस इतना ही कहते हैं-भारत को खेती योग्य जमीन के संरक्षण के लिए नीति की जरूरत है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसानों को मुश्किल नहीं हो और उनके हितों को चोट नहीं पहुंचे।

12 comments:

  1. 0.404 hektiyar ka ekad me kina ho ga

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  2. Sir, ek gattha me kitna mitter hote he or ek bigha, ek ekar, ek hekter me kitna hote he me samjha nahi please samjhao sir

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  3. काफी दुरुस्त बात है।

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  4. 2.3780 hektiyar me Kisan laghu me at a hai ya simant Kisan me

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  6. 0.72हेकटेर मे 1फीट मिटटी खोदी जाए तो कितने मीटर मिट्टी निकल सकती हैं

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  7. Ek bigha jameen me kitne foot hote hair.

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  8. Sir 0.0030 hactaer kitne vigha Hoti he

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