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Thursday, December 22, 2011

राष्ट्रीय बागबानी मिशन

भारत सरकार ने राष्ट्रीय बागबानी मिशन की शुरुआत दसवीं योजना में वर्ष 2005-06 के दौरान केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना के रूप में की जिसका उद्देश्य बागबानी क्षेत्र में वृद्घि के साथ उत्पादन में वृद्घि करना है। दसवीं योजना के दौरान राज्य मिशन को 100 प्रतिशत वित्त सहायता दी जा रही थी और 11वीं योजना के दौरान भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता 85 प्रतिशत तथा 15 प्रतिशत योगदान राज्य सरकारों का है। उत्तर पूर्व के आठ राज्यों को छोड़कर (इन राज्यों को 'उत्तर-पूर्व उद्यान विज्ञान के एकीकृत विकास हेतु चलाए जा रहे तकनीकी मिशन के तहत रखा गया है।) अन्य सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को इस मिशन के अंतर्गत लाया गया। इसके तहत नारियल को छोड़कर सभी फसलें सहायता पाने की पात्र हैं, नारियल के लिए नारियल विकास बोर्ड अलग से कार्य कर रहा है।
राज्य में कहां मिलती है सहायता?
राष्ट्रीय बागबानी मिशन के तहत सहायता राज्य बा$गबानी मिशन द्वारा दी जाती है तथा इसके लिए मिशन निदेशक जिम्मेदार होते हैं। जिला स्तर पर कार्यक्रम को कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी जिला स्तरीय समिति(डी एल सी) की है, जिसके सदस्य सचिव के रूप में जिला बागबानी अधिकारी, काम करते हैं। सहायता प्राप्त करने के लिए इनसे सम्पर्क किया जा सकता है। यह योजना देश के 18 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 367 जिलों में चलाई जा रही है।
क्या है सहायता?
राष्ट्रीय बागबानी मिशन के तहत अनेक घटकों के लिए सहायता दी जाती है। इसमें विशेष रूप से निजी क्षेत्र शामिल है। इसमें पौधशालाओं, प्रयोगशालाओं और क्लीनिक की स्थापना, शस्योत्तर प्रबंधन (पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट) तथा विपणन पर बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है जो क्रेडिट लिंक बैक एंडेड सब्सिडी के रूप में दी जाती है। इसमें राष्ट्रीयकृत बैंकों/वित्तीय संगठनों से लाभार्थी को ऋण प्राप्त करना शामिल है। इन राष्ट्रीयकृत बैंकों / वित्तीय संगठनों में नाबार्ड, आई.डी.बी.आई, सीबी, आइसीआइसीआई, राज्य वित्त निगम, राज्य औद्योगिक विकास निगम, एन.बी.एफ.सी, एन.ई.जी.एफ.आई, राष्ट्रीय एस.सी/एसटी/अल्पसंख्यक/ पिछड़े वर्ग वित्तीय विकास निगम, राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश के अन्य ऋण देने के लिए निर्धारित संस्थान, व्यावसायिक  तथा कॉपरेटिव बैंक शामिल हैं। सामानरूपी घटकों जैसे भंडारण, पैक हाउस आदि के लिए सहायता सिर्फ एक स्रोत से प्राप्त की जा सकती है। एनएचएम योजना के अंतर्गत, 24 लाख रुपए तक की प्राथमिक/मोबाइल खाद्य प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिए सहयोग दिया जाता है। इससे बड़ी इकाइयों के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा सहयोग किया जाता है।
इस मिशन के तहत सिंचाई के लिए जल स्रोतों के सृजन के लिए सहायता उपलब्ध है। यह सहायता सिर्फ समुदाय आधारित परियोजनाओं/ पंचायती राज संस्थाओं/ किसान वर्गों को दी जाती है। विशिष्ट क्लस्टर (एक क्लस्टर में बागबानी फसल के तहत समग्र क्षेत्र 100 हेक्टेअर से ज्यादा नहीं होता)में फसल के समग्र विकास के लिए व्यापक अवधारणा पर काम किया जाता है, अत: किसानों को दो फसलों की बजाय मुख्य फसल के लिए सहायता दी जाती है। सन 2010-11 से, एकीकृत मशरूम इकाई के लिए अंडे, खाद उत्पादन और प्रशिक्षण, अंडे बनाने की इकाई, तथा खाद बनाने की इकाई जैसे कार्यों के लिए सहयोग उपलब्ध है। मधुमक्खी पालन गतिविधियों जैसे बी ब्रीड्स द्वारा मधुमक्खी कालोनियों का उत्पादन, मधुमक्खी कालोनियों का वितरण, छत्ते में शहद एकत्र करना और मधुमक्खी को पालने के औजार के लिए भी सहयोग उपलब्ध है।

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